
रोज़ आ जाते हो तुम 😊 नींद की मुंडेरों पर, बादलों ☁️ में छुपे एक ख्वाब का मुखड़ा बन कर, खुद को फैलाओ कभी आसमाँ की बाँहों सा, तुम में घुल जाए कोई चाँद 🌜 का टुकड़ा बन कर..!
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रोज़ आ जाते हो तुम 😊 नींद की मुंडेरों पर, बादलों ☁️ में छुपे एक ख्वाब का मुखड़ा बन कर, खुद को फैलाओ कभी आसमाँ की बाँहों सा, तुम में घुल जाए कोई चाँद 🌜 का टुकड़ा बन कर..!
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