
ऐसे गये दिल की ज़मी बंजर कर के आज तक कोई फूल ना खिल सका बस्ती बस्ती लोग मिले हमराह मगर फिर कभी तेरा पता ना मिल सका..!
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ऐसे गये दिल की ज़मी बंजर कर के आज तक कोई फूल ना खिल सका बस्ती बस्ती लोग मिले हमराह मगर फिर कभी तेरा पता ना मिल सका..!
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